यह लोकप्रिय तीर्थस्थल काँगड़ा से 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैI गर्भगृह के मध्य में एक कुंड है जहाँ ज्वाला अन्नंत काल से प्रज्वलित हो रही है, इसी ज्वाला की माता के रूप में पूजा का विधान हैI
हमीरपुर में बाबा बालकनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे इस क्षेत्र के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। गुफा में एक मूर्ति है और इसे बाबाजी का निवास माना जाता है।
हिमाचल के सोलन में जटोली शिव मंदिर स्थित है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगा। जटोली शिव मंदिर सोलन से करीब सात किलोमीटर दूर है।
चंबा जिले में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर पांरपरिक वास्तुकारी और मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण है. चंबा के छह प्रमुख मंदिरों में से यह मंदिर सबसे विशाल और प्राचीन है. यह मंदिर हजारों साल पुराना है. भगवान विष्णु को समर्पित हैं |
चामुंडा देवी का यह पहाड़ी मंदिर, 51 शक्ति पीठों में से एक, जो बानेर नदी के तट पर पश्चिम पालमपुर की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हिमाचल के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है।
14वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर है जहाँ पर मंदिर जिले के शाशकों द्वारा पूजा की जाती थी I पैगोड़ा शैली से निर्मित यह मंदिर अपने चारों ओर हरियाली भरा मैदान लिये पंडोह के किनारे पर स्थित है I यहाँ से पहाड़ों का नज़ारा बहुत ही विहंगम है I
एक घुमावदार रास्ता माँ छिन्नमस्तिका या चिंतपूर्णी माँ के मंदिर को जाता है यहाँ माता सभी की इच्छाओं को पूरा करती है I यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ऊना शहर से 75 कि.मी.और जालन्धर से 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित है I
51 शक्तिपीठों में से एक भीमाकली मंदिर पवित्र स्थल है। यह मंदिर रामपुर बुशहर से करीब 30 किलोमीटर दूर सराहन में देवी भीमाकली को समर्पित है। सराहन शहर की खुबसूरत पहाड़ियों में अपनी अनुठी शैली से बना यह मंदिर अपने अंदर शांति और सुकून का आभास करवाता है।