हिमाचल प्रदेश के 9 प्रमुख देवी मंदिर: आस्था और शक्ति के अनूठे स्थल

देव भूमि दर्शन

ब्रजेश्वरी मंदिर नगरकोट शहर में स्थित है, जो भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।  मान्यता है कि पांडवों ने देवी के स्वप्न के बाद इस मंदिर का निर्माण किया।

ब्रजेश्वरी देवी मंदिर 

यह लोकप्रिय तीर्थस्थल काँगड़ा से 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैI गर्भगृह  के मध्य में एक कुंड है जहाँ ज्वाला अन्नंत काल से प्रज्वलित हो रही है,  इसी ज्वाला की माता के रूप में पूजा का विधान हैI

ज्वालामुखी मंदिर

मंडी जिले में ऊंची पहाड़ी पर स्थित शिकारी देवी मंदिर, देवी शिकारी को समर्पित है। यहां के दर्शन के बाद हिमाचल के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है, जो आत्मा को शांति प्रदान करता है।

शिकारी देवी मंदिर

कुल्लू जिले के मनाली में स्थित हडिम्बा मंदिर, महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां देवी हडिम्बा की पूजा की जाती है और हर साल लाखों पर्यटक इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

हडिम्बा मंदिर

यह शक्तिपीठ देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो ज्वाला जी और चिंतपूर्णी मंदिर के पास स्थित है। देवी का पीला रंग इस मंदिर को खास बनाता है और यह देवी दुर्गा के शक्तिशाली रूपों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।

बगलामुखी मंदिर

चामुंडा देवी का यह पहाड़ी मंदिर, 51 शक्ति पीठों में से एक, जो बानेर नदी  के तट पर पश्चिम पालमपुर की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हिमाचल  के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है।

चामुंडा देवी

तारा देवी मंदिर, शिमला में स्थित यह शिमला का एक बहुत प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। तारा देवी मंदिर शिमला में सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक स्थलों में से एक है ।

तारा देवी मंदिर – शिमला

एक घुमावदार रास्ता माँ छिन्नमस्तिका या चिंतपूर्णी माँ के मंदिर को जाता  है यहाँ माता सभी की इच्छाओं को पूरा करती है I यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ऊना  शहर से 75 कि.मी.और जालन्धर से 100  कि.मी. की  दूरी पर स्थित है I

चिंतपूर्णी

बिलासपुर और किरतपुर (34  कि.मी.) के नजदीक एक शिखर पर बना मंदिर माता नयना  देवी को समर्पित है I हर साल जुलाई-अगस्त में श्रावण अष्टमी को रंगारंग  मेलों का आयोजन किया जाता है I

नैना देवी मंदिर

51 शक्तिपीठों में से एक भीमाकली मंदिर  पवित्र स्थल है। यह मंदिर रामपुर बुशहर से करीब 30 किलोमीटर दूर सराहन में  देवी भीमाकली को समर्पित है।  सराहन शहर की खुबसूरत पहाड़ियों में अपनी अनुठी शैली से बना यह मंदिर अपने अंदर शांति और सुकून का आभास करवाता है।

भीमाकाली मंदिर