यह लोकप्रिय तीर्थस्थल काँगड़ा से 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैI गर्भगृह के मध्य में एक कुंड है जहाँ ज्वाला अन्नंत काल से प्रज्वलित हो रही है, इसी ज्वाला की माता के रूप में पूजा का विधान हैI
मंडी जिले में ऊंची पहाड़ी पर स्थित शिकारी देवी मंदिर, देवी शिकारी को समर्पित है। यहां के दर्शन के बाद हिमाचल के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है, जो आत्मा को शांति प्रदान करता है।
कुल्लू जिले के मनाली में स्थित हडिम्बा मंदिर, महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां देवी हडिम्बा की पूजा की जाती है और हर साल लाखों पर्यटक इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।
यह शक्तिपीठ देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो ज्वाला जी और चिंतपूर्णी मंदिर के पास स्थित है। देवी का पीला रंग इस मंदिर को खास बनाता है और यह देवी दुर्गा के शक्तिशाली रूपों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।
चामुंडा देवी का यह पहाड़ी मंदिर, 51 शक्ति पीठों में से एक, जो बानेर नदी के तट पर पश्चिम पालमपुर की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हिमाचल के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है।
एक घुमावदार रास्ता माँ छिन्नमस्तिका या चिंतपूर्णी माँ के मंदिर को जाता है यहाँ माता सभी की इच्छाओं को पूरा करती है I यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ऊना शहर से 75 कि.मी.और जालन्धर से 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित है I
51 शक्तिपीठों में से एक भीमाकली मंदिर पवित्र स्थल है। यह मंदिर रामपुर बुशहर से करीब 30 किलोमीटर दूर सराहन में देवी भीमाकली को समर्पित है। सराहन शहर की खुबसूरत पहाड़ियों में अपनी अनुठी शैली से बना यह मंदिर अपने अंदर शांति और सुकून का आभास करवाता है।