देवभूमि हिमाचल | Dev Bhumi Himachal

शिव मंदिर काठगढ़ इंदौरा

काठगढ़ में स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान शिव

देवभूमि हिमाचल भगवानों की भूमि में कुछ दुर्लभ और पुराने मंदिर हैं जिनका इतिहास की किताबों में उल्लेख है। ‘काठगढ़’ (इंदौरा, कांगड़ा) में भगवान शिव मंदिर, कुल्लू में बिजली महादेव के समान कुछ दिलचस्प और असामान्य है। मंदिर में एक बड़ा ‘शिवलिंग’ है, जो दो भागों में लंबवत रूप से विभाजित है। दो भागों के बीच की दूरी समय-समय पर बढ़ती और घटती रहती है। बड़े हिस्से की पूजा भगवान शिव के रूप में की जाती है और दूसरे को उनकी पत्नी, ‘पार्वती’ के रूप में। । शिव के रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई तो 8 फुट है वहीं माता पार्वती के रूप में पूजे जाने वाले हिस्‍से की ऊंचाई 6 फुट है।

मंदिर का इतिहास

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार ब्रह्मा व विष्णु भगवान के मध्य बड़प्पन को लेकर युद्ध हुआ था। भगवान शिव इस युद्ध को देख रहे थे। युद्ध को शांत करने के लिए भगवान शिव महाग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इसी महाग्नि तुल्य स्तंभ को काठगढ़ में विराजमान महादेव का शिवलिंग स्वरूप माना जाता है। इसे अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। आदिकाल से स्वयंभू प्रकट सात फुट से अधिक ऊंचा, छह फुट तीन इंच की परिधि में भूरे रंग के रेतीले पाषाण रूप में यह शिवलिंग ब्यास व छौंछ खड्ड के संगम के नजदीक टीले पर विराजमान है। यह शिवलिंग दो भागों में विभाजित है। छोटे भाग को मां पार्वती तथा ऊंचे भाग को भगवान शिव के रूप में माना जाता है। मान्यता अनुसार मां पार्वती और भगवान शिव के इस अर्द्धनारीश्वर के मध्य का हिस्सा नक्षत्रों के अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का मिलन हो जाता है।

भारतीय महाकाव्य ‘रामायण’ में एक अन्य कहानी के अनुसार, भगवान राम के भाई राजा ‘भरत’ जब भी अपने ननिहाल कश्मीर जाते थे, तब वह हमेशा इसी स्थान पर पूजा-अर्चना करते थे।

ऐसा प्रतीत होता है कि ‘काठगढ़’ मंदिर का ग्रीक आक्रमणकारियों के साथ भी कुछ सम्बंध था, जब वे वहाँ रुके थे। मूर्ति फर्श के ऊपर एक मानव के आकार के बारे में है और ऐसा माना जाता है कि फर्श के नीचे इतनी ही लंबाई दबी हुई है। यह अपोलो की मूर्तियों में से एक हो सकती है, जिसे सिकंदर महान ने उस स्थान को चिह्नित करने के लिए उच्च प्लेटफार्मों पर बनाया और पूजा की थी जहाँ से वह पीछे हट गया था।

काठगढ़ मंदिर का रास्ता

मंदिर जाने के लिए अलग-अलग रास्ते हैं। एक ‘पठानकोट’ के पास इंदौरा से है और दूसरा ‘पठानकोट-जालंधर‘ राजमार्ग पर ‘मिर्थल‘ गाँव से है। मिरथल गाँव से काठगढ़ करीब 4 किमी। यदि आप दिल्ली से ड्राइव करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको ‘होशियारपुर’ , ‘मुकेरियां’ होते हुए जाना चाहिए और फिर ‘नंगल भूर‘ से ‘इंदौरा’ के लिए छोटी लिंक रोड पर जाना होगा।

शिव मंदिर काठगढ़ इंदौरा की गूगल लोकेशन

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