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चूड़धार शिव मंदिर: हिमाचल का धार्मिक और प्राकृतिक स्वर्ग

चूड़धार शिव मंदिर: हिमाचल का धार्मिक और प्राकृतिक स्वर्ग

भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित चूड़धार शिव मंदिर एक प्राचीन और महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह सिरमौर जिले में स्थित है और चूड़धार चोटी के नाम पर विख्यात है। इसकी ऊँचाई ने इसे सिरमौर जिले की सबसे ऊँची चोटी और बाहरी हिमालय की सबसे ऊँची चोटी बना दिया है। चूड़धार शिव मंदिर को शिरगुल महाराजा मंदिर भी कहा जाता है, जो इसके प्रमुख देवता शिरगुल महाराज से सम्बंधित हैं। इस स्थल का धार्मिक महत्त्व हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, शिमला, चौपाल, सोलन और उत्तराखंड के देहरादून के लोगों के लिए बहुत अधिक है।

चूड़धार शिव मंदिर का इतिहास

यह राज्य के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जो महाभारत काल का है, इस मंदिर के पीछे एक बड़ी कहानी है। महाभारत के समय में चूरू नाम का एक व्यक्ति इस मंदिर में जाता है और वह अपने बेटे के साथ होता है और वे पत्थर पर बैठे होते हैं जो बहुत बड़ा होता है और अचानक वहाँ एक सांप आ जाता है और वे भागना चाहते हैं लेकिन वे भाग नहीं पाते हैं। तभी शिरगुल महाराज ने देखा कि एक बड़ा सांप उनके तीर्थयात्री को मार रहा है, तब उन्होंने पत्थर के टुकड़े कर दिये, पत्थर का एक हिस्सा ठीक हो गया और दूसरा हिस्सा गिर गया, जिससे सांप मर गया और चूरू और उसका पुत्र सुरक्षित रहे। रूप घर चला गया।
इस स्थान को चूड़धार क्यों कहा जाता है? इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, इस मंदिर को शिरगुल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव का दूसरा नाम है। इस घटना के बाद, इस स्थान को “चूड़धार” कहा जाने लगा है, जो चूड़ेश्वर महाराज के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में शिव की मूर्ति पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसे “शिरगुल मंदिर” भी कहते हैं।

चूड़धार शिव मंदिर यात्रा

यात्री इस स्थान तक पहुँचने के लिए नौराधार जाते हैं, जो सिरमौर जिले में स्थित है। वहाँ से यात्री बूट, पैदल या घोड़े पर आगे बढ़ते हैं, जो लगभग 15-16 किलोमीटर की दूरी पर है। यह यात्रा कुल 6-8 घंटे का समय लेती है और स्थानीय गाँवों के माध्यम से बुआड़ार तक पहुँच सकते हैं। सफर में यात्री को प्राकृतिक सौंदर्य, जंगली मार्ग और शिव के पवित्र स्थल का आनंद लेने का अवसर मिलता है।

रहने की सुविधाएँ:

यहाँ जाने वाले यात्री अपने व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए बूट या टेंट लेकर जा सकते हैं और स्थानीय गाँवों में भी रुक सकते हैं। जंगली स्थान पर गर्मियों में यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है, जिससे यात्रा का आनंद लेना और प्राकृतिक सौंदर्य का उच्चारण करना बहुत ही अद्भुत होता है। यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव का स्थान है जो यात्री को शिव की आराधना में लीन होने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

चूड़धार महादेव मंदिर के लिए गूगल मैप लोकेशन

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